कई महिलाओं को अपनी जिंदगी में यौन-उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है। हालांकि कई बार महिलाएं अपने साथ होने वाली घटनाओं के बारे में बात करने में सहज महसूस नहीं करती हैं, लेकिन इस बीच कई महिलाएं ऐसी भी हैं, जिन्होंने यौन उत्पीड़न मामलों पर हमेशा खुलकर बात की है। घर, स्कूल-कॉलेज, कोई पब्लिक ट्रांसपोर्ट या फिर ऑफिस में महिलाओं को अक्सर घूरती नजरों और अनचाहे स्पर्श का सामना करना पड़ता है।
कुछ ऐसा ही वाकया मुजफ्फरपुर बिहार में भी हुआ है।विद्युत आपूर्ति प्रमंडल शहरी-1 के माड़ीपुर स्थित बिजली कार्यालय में कार्यरत महिला डाटा इंट्री ऑपरेटर ने प्रधान लिपिक पर बुरी नजर रखने , प्रताडि़त करने और अमर्यादित व्यवहार करने का आरोप लगाया है। घटना 29 जनवरी की है। महिला कर्मी ने इसकी शिकायत विद्युत अधीक्षण अभियंता पंकज राजेश और सूचना प्रौद्योगिकी प्रबंधक सह यौन उत्पीड़न शिकायत निवारण समिति की श्रु़ति गुप्ता से की है। शिकायत में पीड़िता ने बताया है कि वह विद्युत आपूर्ति प्रमंडल शहरी-1 के कार्यालय में डाटा इंट्री ऑपरेटर के पद पर प्रतिनियुक्त है। कार्यालय के पत्राचार लिपिक वर्तमान में कार्यकारी प्रधान लिपिक उनपे बुरी नजर रखते उसके कारन उनका व्यवहार उसके साथ अशोभनीय और अमर्यादित रहता है। ये काफी दिनो से मेरे उपर बुरी नजर रखे हुये है । वो मुझे हमेशा मुझे मानसिक रुप से प्रताडित करते है और कार्य स्थल पर अपने हिसाब से चलाना चाहते है ।
29 जनवरी को फिर आरोपित ने उसके साथ अमर्यादित व्यवहार किया।
पीडी़ता ने आवेदन मे बताया की आरोपी ने पुन: 29 . 01. 2024 को मेरे साथ अशोभनीय एवं अमर्यादित ढंग से बर्ताव किया गया और असहनीय शब्दों का प्रयोग किया गया जिस से मै काफी प्रताडित महसूस कर रही हूँ ।ये काफी दिनो से मेरे उपर बुरी नजर रखे हुये है । वो मुझे हमेशा मुझे मानसिक रुप से प्रताडित करते है ,महिला कर्मी ने इसकी शिकायत विद्युत अधीक्षण अभियंता पंकज राजेश और सूचना प्रौद्योगिकी प्रबंधक सह यौन उत्पीड़न शिकायत निवारण समिति की श्रु़ति गुप्ता से की है।
जाँच के लिये पाँच सदस्यीय टीम गठित
वहीं, कार्यस्थल पर महिला कर्मी के साथ हुई घटना की जानकारी मिलने पर विद्युत अधीक्षण अभियंता ने संज्ञान लिया है। उन्होंने एक फरवरी को पांच सदस्यीय टीम गठित कर रिपोर्ट मांगी। टीम में सहायक विद्युत अभियंता राधा कुमारी, सहायक विद्युत अभियंता राजस्व दिवा कुमारी, कनीय विद्युत अभियंता निशिगंधा, लेखा सहायक आनमिका, कार्यालय अधीक्षक चंद्रभूषण शामिल हैं। अब तक रिपोर्ट सौंपी नहीं गई है।
मौखिक रुप से शिकायत करने पर नही की गई कारवाई
पीडी़ता ने आवेदन मे बताया की पूर्व मे भी आरोपी की शिकायत तत्कालीन विद्युत कार्यपालक अभियंता राजू कुमार सहित अन्य अधिकारी से मौखिक शिकायत की थी।लेकिन आरोपी को डांट फटकार कर छो़ड़ दिया गया था , उसपे किसी प्रकार की कारवाई नही की गई थी,ये काफी दिनो से मेरे उपर बुरी नजर रखे हुये है ।
विधुत उपभोक्ता मंच के अध्यक्ष ने की कारवाई की मांग
वही मामले की जानकारी मिलने पर विद्युत उपभोक्ता मंच के अध्यक्ष अजय पांडेय ने आरोपी को तुरंत बर्खाश्त करते हुये कानूनी कारवाई कि माँग कि हैं।उन्होंने बताया की विद्युत उपभोक्ता मंच के पास प्रधान लिपिक अरुण राय कि शिकायत काफी दिनों से आ रही हैं। पूर्व कार्यपालक अभियंता अर्बन1 एवं वर्तमान कार्यपालक अभियंता अर्बन 1 का चहेता अरुण राय हैं इनलोगों का भी उच्चस्तरीय जांच होना चाहिये पूर्व विद्युत कार्यपालक अभियंता राजू कुमार को शिकायत के बाद भी कारवाई नही करना संदेहास्पद हैं।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर विशाखा गाईडलाईंस बनाई गई थी विशाखा गाइडलाइन की मुख्य बातें
एक महिला को अक्सर यौन-उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है। खासतौर पर ऑफिस या वर्कप्लेस में इसके मामले लगातार सामने आते रहते हैं। ऐसे में महिलाओं को इससे बचाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर विशाखा गाइडलाइन्स बनाई गई थीं। आईये जानते है विशाखा गाइडलाइन की मुख्य बातें
महिला को गलत तरीके से छूना या छूने की कोशिश करना, गलत तरीके से देखना या घूरना, यौन संबंध बनाने के लिए कहना, अश्लील टिप्पणी करना, यौन इशारे करना, अश्लील चुटकुले सुनाना या भेजना, पोर्न फिल्में दिखाना ये सभी यौन उत्पीड़न के दायरे में आता है।
10 या उससे ज्यादा कर्मचारियों वाले हर संस्थान को इंटरनल कम्प्लेंट्स कमेटी (आईसीसी) बनाना अनिवार्य है।
इस कमेटी की अध्यक्ष महिला ही होगी, कमेटी की आधी से ज्यादा सदस्य भी महिलाएं ही होंगी। इसके अलावा यौन शोषण के मुद्दे पर काम कर रहे एनजीओ की एक महिला प्रतिनिधि को भी कमेटी में शामिल करना जरूरी है।
संस्थान में काम करने वाली कोई भी महिला अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न की शिकायत आईसीसी से कर सकती है। जिसकी जांच कमेटी करेगी और 90 दिन के भीतर अपनी रिपोर्ट पेश करेगी।
इसके अलावा संस्थान न तो शिकायतकर्ता महिला पर दबाव बनाएगा और न ही कमेटी के किसी सदस्य को दबाव में लेने की कोशिश करेगा।
कमेटी अपनी जांच में अगर किसी को आरोपी पाती है तो उसके खिलाफ आईपीसी की धाराओं के तहत कार्रवाई की जा जाएगी।
सभी संस्थानों की आईसीसी को हर साल एक बार अपने पास आई शिकायतों का लेखा-जोखा और कार्रवाई की डिटेल्स को एक रिपोर्ट के रूप में सरकार के पास भेजना होता है।
अगर महिला कमेटी के फैसले से संतुष्ट नहीं है तो वह पुलिस में कम्प्लेन भी कर सकती है।इसके लिए महिला आईपीसी की धारा 354 A के तहत मुकदमा दर्ज करा सकती है। ऐसे मामलों के साबित होने पर आरोपी को तीन साल की सजा और जुर्माना हो सकता है।