जमीन रजिस्ट्री के लिए विक्रेता के नाम से जमाबंदी की शर्त हटने से अब बाप-दादा की पैतृक जमीन बेचनी आसान हो गई है। रजिस्ट्री के लिए पुराना नियम फिर से मंगलवार से लागू हो गया, जिससे जमीन व संपत्तियों की रजिस्ट्री में तेजी आई है। पहले दिन जिला निबंधन कार्यालय में जमीन के सौ प्लॉट की रजिस्ट्री हुई, जबकि बीते शनिवार को जमीन के 53 प्लॉट की रजिस्ट्री हुई थी। नियम में रियायत मिलने से जिले में रजिस्ट्री की दर दोगुनी हो गई है। रजिस्ट्री का आंकड़ा लंबे समय के बाद तीन अंक में होने से अधिकारी व कर्मचारी गदगद थे। रजिस्ट्री की दर में बढ़ोतरी से सरकार को मिलने वाले राजस्व में भी वृद्धि हुई है।
बताया कि प्रत्येक जमीन की रजिस्ट्री पर सरकार को करीब पचास हजार रुपए राजस्व प्राप्त होते हैं। परिजनों के नाम से कायम जमाबंदी से संबंधित जमीन की रजिस्ट्री कराने पर रोक के कारण बड़ी संख्या में जमीन की खरीद-बिक्री प्रभावित हो रही थी। अपने नाम से जमाबंदी नहीं होने से लोग अपने पिता व दादा के नाम वाली जमीन नहीं बेच पा रहे थे। जमाबंदी की शर्त हटने से सुबह से लेकर शाम तक रजिस्ट्री कार्यालय में लोगों की भीड़ लगी रही। िनबंधन कार्यालय पहुंचे बड़कागांव निवासी सुरेंद्र कुमार ने बताया कि पिता के नाम से जमीन की जमाबंदी होने से वह अपनी जमीन नहीं बेच पा रहा था। जमाबंदी की शर्त हटने से जमीन की बिक्री पक्की हो गई है। इससे गांव की जमीन बेचकर शहर में जमीन खरीद सकूंगा। मद्य- निषेध, उत्पाद व निबंधन विभाग ने हाईकोर्ट के आदेश के आलोक में रजिस्ट्री के लिए जमाबंदी की शर्त को 22 फरवरी से प्रभावी बनाया था। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है। इससे रजिस्ट्री में जमाबंदी की शर्त खत्म हो गई है।
रजिस्ट्री बढ़ने से हुई राजस्व में बढ़ोतरी पुराना नियम फिर लागू होने से रजिस्ट्री में बढ़ोतरी हुई है। पहले दिन सौ रजिस्ट्री होने से सरकारी खजाने में बढ़ोतरी हुई है। निबंधन कार्यालय में औसत 100 रजिस्ट्री होने से 50 से 60 लाख रुपए प्राप्त होते हैं। रजिस्ट्री पचास तक सीमित होने से 25 से 30 लाख रुपए आने लगे थे। नियम में बदलाव से कातिबों व मुद्रांक विक्रेताओं के भी व्यवसाय में बढ़ोतरी हुई है।