बिहार के पूर्व विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री बृज बिहारी प्रसाद हत्याकांड में गुरुवार को फैसला आया है। सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व विधायक विजय कुमार शुक्ला उर्फ मुन्ना शुक्ला और मंटू तिवारी को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है। वहीं इस मामले में पूर्व सांसद सूरजभान सिंह, राजन तिवारी समेत 6 आरोपियों को बरी कर दिया गया है।पटना हाईकोर्ट ने 2014 में सभी 8 आरोपियों को बरी कर दिया था। पूर्व मंत्री की पत्नी और भाजपा नेता रमा देवी और सीबीआई ने भी पटना हाईकोर्ट के इस फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने 21 और 22 अगस्त को सुनवाई पूरी करते हुए आदेश को सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बृज बिहारी प्रसाद की पत्नी और पूर्व सांसद रमा देवी ने खुशी जताते हुए कोर्ट और सरकार को धन्यवाद दिया। साथ ही कहा कि गृहमंत्री अमित शाह ने इसके लिए तत्परता से काम किया है।पूर्व मंत्री बृजबिहारी प्रसाद की हत्या साल 1998 में उस समय कर दी गई थी जब वे आईजीआईएमएस में इलाज के लिए भर्ती थे। निचली अदालत ने साल 2009 में 8 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
1998 में राबड़ी सरकार में पटना के IGIMS में हुई थी मंत्री की हुई थी हत्या,
1998 में बृज बिहारी प्रसाद की हत्या पटना के IGIMS में कर दी गई थी। तब वो शाम के वक्त हॉस्पिटल कैंपस में वॉक कर रहे थे। उसी दरम्यान वहां पहुंचे अपराधियों ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी। उस वक्त बिहार में राबड़ी देवी की सरकार थी।
इस बड़े हत्याकांड में सूरजभान सिंह उर्फ सूरज, सिंह, विजय कुमार शुक्ला उर्फ मुन्ना शुक्ला, राजन तिवारी, मुकेश सिंह, ललन सिंह, मंटू तिवारी, कैप्टन सुनील सिंह, राम निरंजन चौधरी और शशि कुमार राय को आरोपी बनाया गया था। पति की हत्या के बाद रमा देवी ने भाजपा का दामन थाम लिया था। वो शिवहर लोकसभा से सांसद रह चुकी हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा ने रमा देवी का टिकट काट दिया था।
ट्रायल कोर्ट ने दी थी सजा तो हाईकोर्ट से मिली थी बड़ी राहत
इस बड़े हत्याकांड की गूंज उस वक्त पटना से लेकर दिल्ली तक थी। इस केस के सभी आरोपियों के खिलाफ पटना के सिविल कोर्ट में ट्रायल चला था। लंबे वक्त तक चले ट्रायल के बाद 12 अगस्त 2009 को सभी आरोपियों को दोषी ठहराते हुए कोर्ट ने उम्र कैद की सजा सुनाई थी। इसके बाद आरोपियों ने हाईकोर्ट में अपील की थी।
लंबी सुनवाई के बाद 24 जुलाई 2014 को इस मामले में पटना हाईकोर्ट का फैसला आया था।
सबूतों के आधार पर हाईकोर्ट ने कहा था कि सूरजभान सिंह और विजय कुमार शुक्ला उर्फ मुन्ना शुक्ला समेत केस के सभी आरोपी संदेह का लाभ पाने के हकदार हैं। इस कारण इनकी ट्रायल कोर्ट की तरफ से दिए गए सजा को खारिज कर दिया और सभी आरोपियों को केस से बरी कर दिया था।सुप्रीम कोर्ट में दी थी चुनौतीपटना हाईकोर्ट के फैसले से रमा देवी खुश नहीं थीं। इसी वजह से उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट के फैसले को उन्होंने चुनौती दी थी। जिसके बाद जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस आर. माधवन की पीठ ने सबूतों के अभाव में आरोपियों को बरी किए जाने के इस मामले में सुनवाई की। इस मामले में CBI ने भी अपना पक्ष रखा था। क्योंकि, हत्या के बाद हुए बवाल के कारण उस वक्त राज्य सरकार ने केस की जांच केंद्रीय एजेंसी को सौंप दी थी।