बाबा रामदेव के द्वारा झूठे प्रचार पर कोर्ट ने फटकार लगा कर गलत किया है या सही पर सारे प्रचार तंत्र पर एक सवाल तो खड़ा हो ही जाता है.
आप कह सकते हैं भला एक संत सन्यासी का ध्यान इस ओर कैसे गया कि स्त्रियों के बाल काले , घने और चमकीले होने चाहिए . एक बाबा को लड़कियों के गालों पर निकल आई फुंसी और होठों पर पड़ी पपड़ी को ले कर क्यों परेशान होना चाहिए ! वह योग सिखाने आए थे या स्त्री के गालों की लाली बढ़ाने !
आप न तो कवि हैं और न साहित्यकार फिर आपको यह हक किसने दिया कि आप नारी सौंदर्य और शृंगारिक कल्पनाओं में डूबे रहें और नारियों के चेहरे पर कांति लाने की बात कर बहकते रहें!
कभी कभी लगता है कि आप अवश्य ही सार्वजनिक स्थलों पर महिलाओं के मुखमंडल को निहारते फिरते हैं. क्या आपको पता है किसी स्त्री ने चेहरे पर चौदह सेकेंड से ज्यादा ताकने पर आजीवन कारावास हो जा सकता है !
जब संविधान ने ही ताकने पर पाबंदी लगा रखा है तब आपके ब्यूटी क्रीम का क्या औचित्य है?
ये करो तो कमर पतली हो जाएगी , ऐसे करो तो गर्दन सुराहीदार बन जाएगी , यह आसन करो तो अजंता एलोरा की मूर्तियों की तरह वक्ष सुडौल हो जायेंगे , ये क्रीम लगाओ तो चेहरे पर झुर्रियां नहीं पड़ेंगी , वो तेल लगाओ तो बदन कुंदन सा दहकने लगेगा , बाबा आप योगाचार्य हैं या महर्षि वात्स्यायन ?
आप अपने को धन्य कहिए कि IMA के वकीलों ने कोर्ट के सामने आपको भी आशाराम और रामरहिम की श्रेणी का नहीं बताया.
कौन सा क्रीम लगाने से लड़कियां रातोरात कंगना राणावत सा दिखने लगती है , किस लोशन के प्रयोग से आज तक रेखा के चेहरे पर झुर्रियों की एक रेखा तक नहीं दिखती है , कौन सा हेल्थ ड्रिंक पी कर धरम जी नब्बे पार कर भी लड़खड़ाते तक नहीं , किस तेल को सर में रगड़ने से बिग बी का एक भी बाल नहीं झड़ा है यह बताने का काम उन प्रोडक्ट के निर्माता का है जो सौंदर्य की दुनियां से बिलांग करते हैं और मेडिकल की महंगी डिग्री लेने वाले डॉक्टर उनकी प्रयोगशाला में शोध करते हैं.
यह काम आप शाहरुख , सलमान और देवगन पर छोड़ दीजिए कि कौन गुटका खाने से मिजाज गदगद हो जाता है ! यह सिर्फ आलिया, कैटरीना को बताने का हक है कि फॉग स्प्रे करने से सागर में तूफान आ जाता है और ज्वार भाटा उठने लगते हैं.
यह सारे कोर्ट , कचहरी और वकीलों को पता है कि ” हॉर्स पावर ” की एक गोली से एक आदमी अपनी चार बीबियों को संतुष्ट रख सकता है.
आप की तरह नहीं कि गाजर के रस से गाल लाल करने का दावा करने लगें और गेंदे के रस से अनिल कपूर के पूरे शरीर पर उगे बालों को हटा दें! यह सोचने की बात है कि च्यवनप्राश खाने से यदि लावण्य टपकता तो कोई लैवेंडर चेहरे पर क्यों मलता?
भई ! रूस और यूक्रेन जा कर डिग्रियां बटोर कर लाने वाले क्या आपकी क्यारियों में घास उगाएंगे?
आप के मुंह से लिवर , पैंक्रियाज , इंटेस्टाइन, गॉल ब्लाडर से ले कर इंडोक्राइन ग्लैंड्स और हार्मोंस की बात बिलकुल हास्यास्पद लगती है. आप सन्यासी हो कर इन सेक्स ऑर्गेंस , एंड्रोजन टेस्टोस्टेरॉन सेक्स हार्मोंस आदि का अंग्रेजी नाम अपनी जुबान पर कैसे ला सकते हैं? आपने अंग्रेजी कब और कहां पढ़ी? आपने क्लाइमेक्स के बारे में कैसे जाना यह देश की जनता और विश्व में सबसे उन्नत हमारी कोर्ट कचहरी आपसे जानना चाहती है.
मुझे उस समय भी अच्छा नहीं लगा था जब आप योग के द्वारा स्वस्थ होने का प्रचार कर भ्रमित कर रहे थे. जब भी आप पेट को चाक की तरह घुमाते थे मुझे लगता था यह डेलिकेट स्मॉल इंटेस्टाइन कहीं इतना न उलझ जाए कि बाद में उसके अंदर कैमरा ले जा कर इंडोस्कोपी करना भी मुश्किल हो जाए.
आज आधुनिक समय में जब फिजियो थैरेपी के इतने महंगे उपकरण उपलब्ध हैं तब तब अंगों को बेतरतीब ढंग से टेढ़ा मेढा कर सर्कस करनें की क्या जरूरत थी? किसी के नाजुक अंगों में कहीं ऐंठन या फ्रैक्चर हो गया तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?
फिर आपने हमारा खाना पीना अपने हिसाब से तय करना शुरू कर दिया. घर से स्वादिष्ट भोजन तो परमानेंटली बिदा हो गया. किचेन से व्यंजनों की खुशबू आनी बंद हो गई.
आपकी दलिया ने मल्टीनेशनल ओट्स का हुलिया खराब कर दिया.
मुगलई कबाब और चिकन जहांगीरी बेचने वाले रेस्त्रां क्या अब आम के अमावट और जामुन के मुरब्बा बेचेंगे?
हमारा देश जो हजारों साल की गुलामी की बदौलत विश्व भर की स्वादिष्ट रेसिपी का उन्नत केंद्र बन गया था आपने यह स्वाद संस्कृति ही ध्वस्त कर दी बाबा. जीवन कितना नीरस और उबाऊ बना कर रख दिया!
जिस जवार बाजरे मक्के की रोटी से हमारे लोक प्रिय नेतागण ग्रीन रेवोलूशन के द्वारा निजात दिलाए थे आपने फिर से उन्हें चबाने को विवश कर दिए यह कहां का न्याय है !
गाय और गोबर की बात कर आपने देश का सौहार्द खराब कर दिया.
आज आपको कोर्ट रूम में घुटनों पर खड़े देख कर धनवंतरि और चार्वाक की आत्मा भी दुबारा इस देश में आने का इरादा रखना छोड़ देगी.
अ प्रा वरिष्ठ प्रबंधक
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया
शिक्षा : पोस्ट ग्रेजुएट
हौबी: साहित्य लेखन